सआदत हसन मंटो को सुनने का मतलब केवल एक ही हो सकता है ... यह असहज होने का समय है। नैतिकता के नाम पर सभ्य समाज और उसकी बेड़ियों से बाहर निकलने और मानवता को उसके सबसे मौलिक रूप में देखने का समय आ गया है। मंटो का इरादा कभी भी अपने पाठकों को झटका देने या सनसनी पैदा करने का नहीं था, वह कुदाल को कुदाल कहना पसंद करते थे। उन्होंने अपने आसपास की दुनिया में जो देखा उसे व्यक्त करने के लिए वह शब्दों के पीछे नहीं छिपे। कई बार उनके लेखन के लिए अदालत में कोशिश की गई, उनके दोस्तों को उन्हें जेल जाने से बचाने के लिए उन्हें पागल घोषित करना पड़ा। आज की कहानी खोल दो है, ये कहानी अमृतसर से चली ट्रैन में बिछड़ी उस लड़की की कहानी है जिसको ढूंढ़ने में उसके पिता ने पूरी शिद्दत की। उस वक़्त के दर्दनाक हालात में उस पिता की बेटी कैसे ज़िंदा बचती है मंटो ने इसमें उस पूरे हालात का ज़िक्र किया है
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